हम अनजान थे प्यार की राहों से
उसने प्यार की राह पर चला दिया
हम भूल गए अपने घर क पता
वो छोड़ गया हमें उस मोड़ पर
जहाँ कोई राह नज़र ना आये
अच्छी बुरी जैसी भी हूँ अपने लिए हूँ मैं खुद को नहीं देखती ओरों की नज़र से तारुफ़ के लिए इतना ही वो रिश्ता छोड़ देते हैं जो रिश्ता आम होता हैं
No comments:
Post a Comment
Thankyou