कैसे भूल जाऊ तुझको भुलाया नहीं जाता
हर इक दिन तो मोहब्बत का चमन बसाया नहीं जाता
फेशन की तरह माशूक बदलना तेरी आदत होगी,
हमसे तो ऐसा कदम उठाया नही जाता
क्यों इतना रुलातें हो क्यों इतना सतातें हो
ऐसें तो अपनों को सताया नही जाता !
दिल मे रहता है यू तेरी यादों का बसेरा,
एक पल भर के लिए भी तो तुझे भूलाया नही जाता!
जाना है अगर मुझको तो जाउंगी तुझ से इतना दूर,
जहाँ से वापस किसी से आया नही जाता!
नादान है यह हमारी हथेली की लकीरे,
नसीब से बढ़ कर तो इस दुनिया मे पाया नही जाता!
बुझ गए है वोह चिराग जो जलाएं थे हमने साथ साथ,
अब तो अकेले कोई चिराग जलाया नही जाता!
हस्ती है बेबसी मेरी बर्बाद मोहाबत पर,
क्यों बनातें हो दिल का रिश्ता जब निभाया नही जाता!!
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