Sunday, June 20, 2010

कीमत दोस्त की नहीं विश्वास की होती है !!



कीमत पानी की नहीं प्यास की होती है

कीमत मौत की नहीं सांस की होती है

दोस्त तो बहुत हैं दुनिया में

कीमत दोस्त की नहीं विश्वास की होती है !!

वक़्त मिला तब याद करते हो ,




वक़्त मिला तब याद करते हो ,

मुड हुआ तब बात करते हो ,

एक ज़माना था जब एक पल भी रह नहीं सकती थे

बिना इस दोस्त के ,

अब तो याद भी एक ज़माने के बाद करते हो !!



दर्द सिर्फ ये है की हम उनको भुला ना सके


दूर जाकर भी उनसे दूर जा ना सके ,

कितना रोये ये किसी को बता ना सके .

गम ये नहीं के वो मिल ना सके

दर्द सिर्फ ये है की हम उनको भुला ना सके .



Friday, May 7, 2010

बस खुद से अनजानी सी हूँ


बस खुद से अनजानी सी हूँ
सपनो की दुनिया में खोई सी हूँ
खुद को कैसे खोजूं
कोई रास्ता भी नज़र नहीं आता
बस इक ऐसी खोज में खोई हुई -की
सब रिस्तो को खो दिया हैं
बस इस अनजाने तन में तनहा सी हूँ
पर क्या करू बस खुद को खोज रही हूँ
और अपने आप को खोज रही हूँ
बस इक अनजानी को जानने वाली बनाना चाहती हूँ~
बस खुद से अनजानी सी हूँ

क्योंकि मेरे लफ्ज़ ही मेरी पहचान हैं...



बेकरार दिल को धड़कन का इंतजार है....

“कमबख्त दिल है कि मानता नही,

जब कभी पहले प्यार की बात निकलती है

तो उसकी शक्ल सामने आ ही जाती है,

आँखो को झूठ बोलना नही आता और आंसू………

वो तो शायद उसके जिक्र होने का ही इन्तजार करते है.”

मेरे अल्फाज़ मेरे जज़्बात मेरे ख्यालात की तर्जुमानी करते हैं..

क्योंकि मेरे लफ्ज़ ही मेरी पहचान हैं...

हम अपनी पहचान तलाशते हैं !!



मैं स्वीकार करती हूँ .........

हम तो सूखे हुए ठूंठ जैसे वो पेड़ हैं

जिसके पास परिंदों को बैठाने के लिए टहनियाँ भी नहीं हैं

चाहते थे कभी उस अम्बर को छू लेना ,

कम्बख्त ज़मीन से ही उखड गए

मेरी पहचान अब शायद पहचान नहीं रही ,

तभी तो मुझे पहचानने वाले मुझे पहचानने से कतराते हैं

असफलताओं के कारवाँ कुछ ऐसे गुजरे कि

उन्हीं की धूल में हम अपनी पहचान तलाशते हैं !!

Thursday, May 6, 2010

क्यों बनातें हो दिल का रिश्ता जब निभाया नही जाता!!


कैसे भूल जाऊ तुझको भुलाया नहीं जाता

हर इक दिन तो मोहब्बत का चमन बसाया नहीं जाता

फेशन की तरह माशूक बदलना तेरी आदत होगी,

हमसे तो ऐसा कदम उठाया नही जाता

क्यों इतना रुलातें हो क्यों इतना सतातें हो

ऐसें तो अपनों को सताया नही जाता !

दिल मे रहता है यू तेरी यादों का बसेरा,

एक पल भर के लिए भी तो तुझे भूलाया नही जाता!

जाना है अगर मुझको तो जाउंगी तुझ से इतना दूर,

जहाँ से वापस किसी से आया नही जाता!

नादान है यह हमारी हथेली की लकीरे,

नसीब से बढ़ कर तो इस दुनिया मे पाया नही जाता!

बुझ गए है वोह चिराग जो जलाएं थे हमने साथ साथ,

अब तो अकेले कोई चिराग जलाया नही जाता!

हस्ती है बेबसी मेरी बर्बाद मोहाबत पर,

क्यों बनातें हो दिल का रिश्ता जब निभाया नही जाता!!

Wednesday, May 5, 2010

तुम्हे क्या फर्क पड़ता हैं


हमारी मोहब्बत से तुम्हे क्या फर्क पड़ता हैं

हम किसी और के हो जाये तो तुम्हे क्या फर्क पड़ता हैं

हमारा दिल उदास हैं पर तुम्हे क्या फर्क पड़ता हैं

हमारी आँखों में आंसू हैं पर तुम्हे क्या फर्क पड़ता हैं

तुम्हारी जिंदगी से हम कल चले जाये तुम्हे क्या फर्क पड़ता हैं

अगर हम कल को मर जाये तो तुम्हे क्या फर्क पड़ता हैं