वक़्त ने कब ज़िन्दगी का साथ दिया,हमेशा ही आगे चलते जाता हैं !
और ज़िन्दगी वक़्त की परछाई सी नज़र आती हैं !
वक़्त बहुत बेरहम हैं, अपनी परछाई का साथ छोड़ देता हैं !
वक़्त का हर सितम ज़िन्दगी सहती जाती हैं !
मगर उफ़ भी नहीं कर सकती
किसी के पास इतना वक़्त होता हैं
की काटना मुश्किल हो जाता हैं !
और किसी इतना भी वक़्त नहीं होता की
अपने लिए वक़्त निकल सके !
वाह रे ! वक़्त के सितम !
वक़्त ज़िन्दगी को बहुत उलझता हैं !
ये कैसा वक़्त आ गया जब ज़िन्दगी भी
कुछ कह नहीं पाती !
और वक़्त के खामोश सितम भी सह नहीं पाती !
गर कुछ कहना भी चाहे तो सुनने वाला कोई नहीं
यह कैसे बेबसी हैं, ये कैसी आरजू हैं,
वक़्त के सितम हंस के सहने को मजबूर
जिदगी उदास रहो पर चलती जाती हैं !
काश ! कोई दिखाए दिशा इस ज़िन्दगी को !
वक़्त के साथ चलना सिखाये ज़िन्दगी को !
खामोश राहे हैं खामोश डगर हैं ज़िन्दगी की !
वक़्त का साथ अगर मिल जाये तो
ज़िन्दगी के मायने बदल जायेगे !

























