भूख इन्सान के रिश्तों को मिटा देती है।
करके नंगा ये सरे आम नचा देती है।।
आप इन्सानी जफ़ाओं का गिला करते हैं।
रुह भी ज़िस्म को इक रोज़ दग़ा देती है।।
कितनी मज़बूर है वो माँ जो मशक़्क़त करके।
दूध क्या ख़ून भी छाती का सुखा देती है।।
आप ज़रदार सही साहिब-ए-किरदार सही।
पेट की आग नक़ाबों को हटा देती है।।
भूख दौलत की हो शौहरत की या अय्यारी की।
हद से बढ़ती है तो नज़रों से गिरा देती है।।
अपने बच्चों को खिलौनों से खिलाने वालो!
मुफ़लिसी हाथ में औज़ार थमा देती है।।
भूख दौलत की हो शौहरत की या अय्यारी की।
ReplyDeleteहद से बढ़ती है तो नज़रों से गिरा देती है।।
बहुत खूब
हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है।
नियमित रहें
अच्छा लिखें अच्छा पढ़ें
बी एस पाबला
बहुत अच्छा लिखा आपने। इसी तरह लिखती रहें।
ReplyDeleteनेता करोड़ों की माला पहन रहे हैं। अमीरों की औलाद अय्याशी में लाखों उड़ा रही है,लेकिन इस आसमान के नीचे लाखों ऐसे भी हैं जो इस उम्मीद के साथ भूखे सो जाते हैं कि भगवान करे कल तो कुछ खाने को मिले। ये भ्रष्ट व्यवस्था एक दिन तो ध्वस्त हो ही जानी है। हम और आप जैसे न जाने कितने ऐसे हैं जो एक दिन इस व्यवस्था के खिलाफ उठ खड़े होंगे। आपको धन्यवाद
ReplyDeleteभूख फुटपाथ पे लेटे हुये हर रोज़ मुझे
ReplyDeleteचाँद की शक्ल में क्यों रोटी दिखा देती है.
उनको दौलत की भूख ने यूँ जकड़ रखा है
जितना खाते हैं उतनी भूख भी बढ जाती है.
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बहुत खूबसूरत अशआर.. लिखते रहिये..
http://samvedanakeswar.blogspot.com
अपने बच्चों को खिलौनों से खिलाने वालो!
ReplyDeleteमुफ़लिसी हाथ में औज़ार थमा देती है।।
अच्छा लिखा है, अपना दर्द तो सब बयां करते हैं दूसरों के दर्द को शब्दों के लिबास पहनाना आसान नहीं
"भूख दौलत की हो शौहरत की या अय्यारी की।
ReplyDeleteहद से बढ़ती है तो नज़रों से गिरा देती है।।"
गुडिया जैसी लगती हो लेखनी "कमाल" तुम्हारी
बुरी नजर ना लगी किसी की ये है दुआ हमारी
आप ज़रदार सही साहिब-ए-किरदार सही।
ReplyDeleteपेट की आग नक़ाबों को हटा देती है।।
kya baat hai!
ब्लागजगत में आपका स्वागत है!अपने विचारों को लिखिए और दूसरों के विचार पढ़िए!आपके लेखन की सफलता हेतु मेरी शुभकामनायें!
ReplyDeleteअपने बच्चों को खिलौनों से खिलाने वालो!
ReplyDeleteमुफ़लिसी हाथ में औज़ार थमा देती है।।
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इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये
कैसे किसी गरीब की बेटी बने दुल्हन
ReplyDeleteरिश्ते तलाशे जाते है जागीर देख कर
atyant maarmik......bheega diya in lafzon ne mujhe....!!
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